लोकतंत्र मर रहा है, कलयुगी देवता सिंघासन हथिया रहे है। रात के सनाटे में नई कोपले चीख़ रही है यह ज़ुल्म कैसा? दलालों का लगा है ये हुजूम कैसा? लोकतंत्र के वृक्ष को ज़ो सींचने चले थे आज़ वही इसकी चीता साझा रहे हैं। लोकतंत्र मर रहा है, कलयुगी देवता सिंघासन हथिया रहे है।#मk #nojoto#quotes#मk