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तू याद करती है मुझको, मैं भरता हूं सिसकियां। कोई ज

तू याद करती है मुझको,
मैं भरता हूं सिसकियां।
कोई जान न जाए,
तो रोक लेता हूं हिचकियां।
तुझसे बिछड़ के अंधेरों की,
मुझे ऐसी आदत हुई! कि...
अब खुलती नहीं मेरे कमरे की,
जंग लगी खिड़कियां।
✍️" हुड्डन"🙏 #खिड़कियां
तू याद करती है मुझको,
मैं भरता हूं सिसकियां।
कोई जान न जाए,
तो रोक लेता हूं हिचकियां।
तुझसे बिछड़ के अंधेरों की,
मुझे ऐसी आदत हुई! कि...
अब खुलती नहीं मेरे कमरे की,
जंग लगी खिड़कियां।
✍️" हुड्डन"🙏 #खिड़कियां