दर्द मुकम्मल कर दे, जख्मों को फ़िर से हरा कर दे बड़ी बेदर्द है तेरी यादें, आती है सिर्फ़ रुलाने को ये वक़्त की बेरूखी या लम्हों का कसूर था इश्क़ ये आजा लौट कर के फ़िर, यादों से अब दूरी कर दे #restzone #rztask109 #rzलेखकसमूह #yqdidi #yaadein #यादें