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#OpenPoetry जितना दूर जाने की कोशिश करता हूँ.. उत

#OpenPoetry जितना दूर जाने की कोशिश करता हूँ.. 
उतना ही करीब तेरे खुद को पाता हूँ.. 

हजारों नफरतों के बीच प्यार की इक वजह को.. 
ना जाने कहाँ से पकड़ कर लाता हूँ.. 

वेसे तो कुछ भी नहीं दरमियाँ हमारे 
मगर दिल के हर तुकडों पर वजूद उसीकी ही पाता हूँ..

मुंतशिर से हो गये हैं ख्वाब मेरे.. 
दिन-ब-दिन जज्बातों के भँवर में खुद को डूबता पाता हूँ.. 


-रिहान #OpenPoetry #Nazam #urdupoetry #poetic #passion #peace #writierbysituation
#OpenPoetry जितना दूर जाने की कोशिश करता हूँ.. 
उतना ही करीब तेरे खुद को पाता हूँ.. 

हजारों नफरतों के बीच प्यार की इक वजह को.. 
ना जाने कहाँ से पकड़ कर लाता हूँ.. 

वेसे तो कुछ भी नहीं दरमियाँ हमारे 
मगर दिल के हर तुकडों पर वजूद उसीकी ही पाता हूँ..

मुंतशिर से हो गये हैं ख्वाब मेरे.. 
दिन-ब-दिन जज्बातों के भँवर में खुद को डूबता पाता हूँ.. 


-रिहान #OpenPoetry #Nazam #urdupoetry #poetic #passion #peace #writierbysituation