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इक परी सलोनी नन्ही सी आई थी मेरे आंगन में देकर खुश

इक परी सलोनी नन्ही सी
आई थी मेरे आंगन में
देकर खुशियों को बेशुमार
रब ने डाला था दामन में

नाज़ुक नाज़ुक से हाथ पैर
मुस्कान लबों पर प्यारी सी
मन मोह सभी का लेती थी
इतनी प्यारी किलकारी थी

मन हर्षित था आनंदित था
लक्ष्मी आई थी मधुबन में

हम उसको पाकर धन्य हुए
प्रभु की रचना अलबेली थी
चिड़ियों सा कलरव मधुर मधुर
करती गोदी में खेली थी

हे प्रभु उसको देना न कभी
कोई भी मुसीबत जीवन में

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # पुत्री के जन्मदिन पर कविता

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