कुछ ख़्वाबो को टुटते देखा हैं, सारे सपनों को बिखरते देखा हैं, कुछ को, ख़ुद से लड़ते देखा हैं, कुछ को खुद से हारते देखा हैं मुठ्ठी से रेत फिसलते देखा हैं, अपनो को रंग बदलते देखा हैं, इंसानो को गिरगिट-सा रंग बदलते देखा हैं, अपनों को, गैरो के बांहों में जाते देखा हैं, पा कर सबकुछ, खोते देखा हैं, ना पा कर सबकुछ, सबकुछ पाते देखा हैं, ख़ुद को ख़ुद से सवरते देखा हैं, ख़ुद को ख़ुद से बिगड़ते देखा हैं, द्वार पर बाबा को बिखरते देखा हैं , और अम्मा की चुप्पी को भी देखा हैं, अपनों को अपनों से बनते देखा हैं, दुनिया को पैसे पे मरते देखा हैं , इंसान को खुदा बनाते देखा हैं, खुदा को इंसान बनते देखा हैं, इंसान से इंसान को क्या भगवान को भी रूठते देखा हैं अफसोस.......ये सब कुछ हमनें देखा हैं पर ख़ुद को बदलते कभी नहीं देखा हैं......!!🫣 ©Shivanay #Himself #Quote #Life #Hakkikt #Stars