Nojoto: Largest Storytelling Platform

चुप थे अक्षरबद्ध कविता *जय विनायक* ज' - जब भी

चुप थे अक्षरबद्ध कविता 

 *जय विनायक* 

ज' - जब भी संकट में होती  हूँ 
य'  -यकायक तुम्हारे होने का एहसास 
वि' -विश्वास में बदल जाता है
ना' -नाम तुम्हारा स्मरण कर 
य'  -याद करती हूँ  जब दिल से
क' -कमाल हो जाता है सबकुछ!

रीता सिंह "सर्जना"

©Rita Singh #अक्षरबद्ध कविता  Bishal chhetri
चुप थे अक्षरबद्ध कविता 

 *जय विनायक* 

ज' - जब भी संकट में होती  हूँ 
य'  -यकायक तुम्हारे होने का एहसास 
वि' -विश्वास में बदल जाता है
ना' -नाम तुम्हारा स्मरण कर 
य'  -याद करती हूँ  जब दिल से
क' -कमाल हो जाता है सबकुछ!

रीता सिंह "सर्जना"

©Rita Singh #अक्षरबद्ध कविता  Bishal chhetri
ritasingh5781

Rita Singh

New Creator