चुप थे अक्षरबद्ध कविता *जय विनायक* ज' - जब भी संकट में होती हूँ य' -यकायक तुम्हारे होने का एहसास वि' -विश्वास में बदल जाता है ना' -नाम तुम्हारा स्मरण कर य' -याद करती हूँ जब दिल से क' -कमाल हो जाता है सबकुछ! रीता सिंह "सर्जना" ©Rita Singh #अक्षरबद्ध कविता Bishal chhetri