बढ़ा ना पाया कोई अपनी शान झुठ बोलकर, मगर वो छु रहा है, आसमान झुठ बोलकर। मैं सच की रोशनी ही बिखेरने में ही लगा रहा, तमाम लोग बन गए महान झुठ बोलकर। कभी तो सच्ची बात कर, कभी तो सच से प्यार कर, चली है, किसकी उम्र भर दुकान झुठ बोलकर।। ..Pravin.yadav.. Lamp of time