#Pehlealfaaz *"बेसहारा सा मैं खुद, साथ 'यूँ' देता रहा दिन को 'उसने' रात आंका, रात ही 'कहता' रहा कुछ 'खतायें' मेरी भी, हर बात जो 'यूँ' मान ली 'वजीर' मेरा अपना था, जो मात मैं 'सहता' रहा*" 'सार' अपना ही वजीर मात दे गया #सार #शायरी