वो शहर सुना है उस शहर औरतों को इज्जत दी जाती है। गर मैं आयी यहाँ तो , कहानी कुछ और नजर आती है । निगाहें हर अनजान की नोच खाने को तैयार है, जैसे गिद्ध उसकी जाती है । ख्वाब था कि बाँधू वो धागा विश्वास का तुम्हे, मगर निगाहे तुम्हारी भी तो मेरे उभरते बदन पर जाती है। सुना है उस शहर औरतों को इज्जत दी जाती है । कुचला है मेरा जिस्म इतनी दफा इस शहर ने , की मानो तुम हाथी ओर मुझमे चींटी नजर आती है। सुना है उस शहर औरतों को इज्जत दी जाती है । गर मैं आयी यहाँ तो , कहानी कुछ और नजर आती है जैसे तवायफ मेरी जाती है । वो शहर