फुर्सत नही जरा भी जब से ये फोन आया हैं। वक्त नही इक पल का यार,ये कौन आया हैं।। कितना बोलता था,ये इंसान कुछ वक्त पहले ही, अब ये मोबाईल नही,आदमी का मौन आया हैं।। जब से ये मोबाइल आया सब व्यस्त हो गये। सब की क्षमताओ के सूरज अस्त हो गये।। अब किसी को फिक्र नही किसी की यहाँ, सब अपने-अपने मोबाइल में मस्त हो गये।। इस नेट की वजह से ही झगड़े हुये हैं। सब अंदर ही अंदर यार,जकड़े हुये हैं। पता ही नही चलता ये क्या गया हो अब, हम फोन को या फोन हमें पकड़े हुये हैं।। -सनी लाखीवाल #mobile #phone