सब दुख जलकर राख हो, होली में इस बार । हर घर में होने लगे , खुशियों की बौछार ।। हुई बुराई पर विजय, खत्म हुआ उन्माद । जली होलिका आग में, बचा भक्त प्रह्लाद ।। शरमाने से जब यहाँ, हुए गुलाबी गाल । पैकिट में ही रह गया, लाया हुआ गुलाल ।। शुरू हो चुका है पुनः, होली का हुड़दंग । अपनी मस्ती में हुए, शामिल सारे रंग ।। अभी तलक हम लड़ रहे, कोरोना से जंग । फिर से फीका पड़ गया, होली का हर रंग ।। -चिरंजीव डिडवानिया✍️ होलिका दहन के साथ समस्त कलुष व नैराश्य के समाप्त होने की प्रार्थना एवं होली की हार्दिक शुभकामनाएँ😍🙏 सब दुख जलकर राख हो, होली में इस बार । हर घर में होने लगे , खुशियों की बौछार ।। हुई बुराई पर विजय, खत्म हुआ उन्माद । जली होलिका आग में, बचा भक्त प्रह्लाद ।।