जिन्दगी से शुरू होती है, मौत पर खत्म ही होगी, जिस स्टेशन पर रुके , एक नया सा रंग लिए होगी, अनगिनत मुसाफिर होते हैं, इस सफर में साथी, क्या इस सफर की कोई, मुकम्मल मंज़िल होगी। चलते चले जाते हैं हम , गुज़रते वक्त के इस साये में, बिछड़ते चले जाते हैं, साथी जो कभी हमारे साथ थे, जिनके लिए इस दिल में, कुछ प्यारे से जज़्बात थे,