ठंडी हवा का झोंका, मूसलाधार बारिश, उसमें फँसे हम, और मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू संग तुम्हारी यादें... इस सब से बेहतर तो सिर्फ़ तुम हो सकती थी न लेक़िन नहीं, ये जो मेरा मन है न बस तुम्हें याद किया तो कर लिया। #बारिस_में_यादें