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आज जैसे मानो हिंदी साहित्य की रीढ़ की हड्डी ही ट

  आज जैसे मानो हिंदी साहित्य की रीढ़ की हड्डी ही टूट गयी हो हमारे बडे हमारे पूर्वज हमारे बुजुर्ग कविताएँ गजल शायरी नज्म गीतों की दुनिया के बादशाह हमारे बीच नही रहे आपका जाना हिंदी साहित्य के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है बाबा।।

कोई चला तो किसलिए नजर डबडबा गयी
श्रंगार क्यों सहम गया,बहार क्यों लजा गयी,न जन्म कुछ,ना मुत्यु कुछ,बस इतनी सिर्फ बात है,किसी की आँख खुल गयी,किसी को नींद आ गयी।
 
#भावपूर्ण_श्रद्धांजलि #हमारे_पूर्वज 
#परमपूज्यनीय_गोपालदास_नीरज(बाबा)
  आज जैसे मानो हिंदी साहित्य की रीढ़ की हड्डी ही टूट गयी हो हमारे बडे हमारे पूर्वज हमारे बुजुर्ग कविताएँ गजल शायरी नज्म गीतों की दुनिया के बादशाह हमारे बीच नही रहे आपका जाना हिंदी साहित्य के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है बाबा।।

कोई चला तो किसलिए नजर डबडबा गयी
श्रंगार क्यों सहम गया,बहार क्यों लजा गयी,न जन्म कुछ,ना मुत्यु कुछ,बस इतनी सिर्फ बात है,किसी की आँख खुल गयी,किसी को नींद आ गयी।
 
#भावपूर्ण_श्रद्धांजलि #हमारे_पूर्वज 
#परमपूज्यनीय_गोपालदास_नीरज(बाबा)