ये जिस्म ही रह गया है तेरी याद ने रूह को खो दिया है हजारों की भीड़ मे भी अब शोर नही सुनाई देता सब पूछते हैं तुझे क्या हुआ है? न दर्द है न मरहम तू जान ले जिस्म ही जिस्म रह गया है रूह मर गई है और बेजान सा जिस्म मेरा बाजारों में बिक सा रहा है । ये कर्म मेरा या खुदा की दी सजा है तू गोर तो कर ये जिस्म अब बेजान पड़ा है। ©Prerana Yukta" #एंड