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[05.] दरवाजे सीधे हैं इसलिए मकां लगता है मेरे दीव

[05.]

दरवाजे सीधे हैं इसलिए मकां लगता है
मेरे दीवान-ए-खास को मेहराब कौन देगा।
सूनी-सूनी सी लगती है ये सल्तनत मेरी
इस रियासत को अब नवाब कौन देगा।
दिनों की वसूली तो कर ली मैंने
तन्हा रातों का हिसाब कौन देगा।।

©Rohit Bhargava (Monty)
  #roshni