लो उठा ली कलम हाथों ने, दिल-ए-नादां बता क्या लिखना है,, लफ्ज़ों की शक्लमें भरी महफ़िल में, आज फिर सरेआम तेरे दर्द को बिकना है,, ये जो जलन है, घूटन है, आखिर कब तक युहीं सम्भाल के रखना है,, गुङ से मीठे जहर को हर सांस के साथ, घुट-घुट कर यूहीं चखना है,, #brokernheart # psycho shayr