.... हर एक व्यक्ति सोचता है सूरज सिर्फ मेरे लिए ही निकला है जब वह अपनी आंखों से देखता और सूर्य को जल अर्पण करता तो यही मन में भाव लाता है कि यह सिर्फ मेरा ही है मेरे ही आराध्य हैं सूर्य देव,,,, इसी तरह सब अपना अपना सोचते हैं हर एक घर,,हर एक गांव,, हर एक नगर,,,शहर देश,, चाइना अपना सोचता अमेरिका अपना रसिया अपना बल्कि सूरज तो सबका एक ही है और वह सबको अपना एक ही नजर आता है,,,, चांद भी एक है मगर हजारों प्रेमी के प्रेमिकाओं को अपना पर्सनल चांद नजर आता है,,,, बल्कि वह करोड़ों के लिए भी एक ही है