कुछ खनकता रहता है ज़ेहन में लैपटॉप पर काम करने के बावजूद भी कही न कही से एक नज़्म या कोई ग़ज़ल आ जाती हैं मेरे पास चुकीं मैं दर्ज तो नही कर पाता कागज़ पे तो नज़र बचा कर हाथ पर चुपके से लिख लेता हूँ सारा दिन हाथ को बचा कर रखता हूँ नज़्म को संभाल के रखता हूँ के घर पहुँचूँ तो दर्ज करू अपनी डायरी में पर कमबख्त घर पहुँच नही पाता दफ्तर में ही रात कट जाती हैं। #kavyapankh3