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कभी मेरी भी याद आई क्या तुम्हें उस पतझड़ में जब चरम

कभी मेरी भी याद आई क्या तुम्हें
उस पतझड़ में
जब चरमरा रहे थे दरख्त जैसे रिश्ते।
कभी मेरी भी याद आई क्या तुम्हें 
जब तरंगें नदी की तरह उठ रही 
थी मन के अंदर।
कभी याद आई क्या तुम्हें जब धधक
रहे थे लावा आँखों में
और रिस रहे थे आँसू ख़्वाबों के
ये हाँ और नहीं का फेर ही तो
डूबो जाता है ।

©Neelam Sharma
  #दरख्त istekhar bhai 6299368815 Rakesh Srivastava Asha...#anu Anupriya Das Monti Deshwal