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समय से पहले जवान हुयी मैं अपनी गलियों में बदनाम हु

समय से पहले जवान हुयी मैं
अपनी गलियों में बदनाम हुयी मैं।
न चल सका पता घर वालों को
अपने मुहल्लों में सयान हयी मैं।
छुप कर ही चली हर नजर से मैं
पर नजरों से ही परेशान हुयी मैं।
लेकर तालीम सदा ही चली में
फिर भी अंधेरों में हैरान हुयी मैं।
पकड़ कर हाथ उस पार चली मैं
रह गयी बस कटी हुयी मयान मैं।
दर्द छलका जब तेरे आगे दरिया
समाज में राजनीतिक बयान हुयी मैं।

©रामानुज दरिया #सिर्फ़ मैं।
समय से पहले जवान हुयी मैं
अपनी गलियों में बदनाम हुयी मैं।
न चल सका पता घर वालों को
अपने मुहल्लों में सयान हयी मैं।
छुप कर ही चली हर नजर से मैं
पर नजरों से ही परेशान हुयी मैं।
लेकर तालीम सदा ही चली में
फिर भी अंधेरों में हैरान हुयी मैं।
पकड़ कर हाथ उस पार चली मैं
रह गयी बस कटी हुयी मयान मैं।
दर्द छलका जब तेरे आगे दरिया
समाज में राजनीतिक बयान हुयी मैं।

©रामानुज दरिया #सिर्फ़ मैं।