" जय अवध ⛳ जय अवधी " " अवधी कविता " अंगना से तुलसी कय बिरवा , लागत है आज हेराय गवा , गौरी पूजन खातिर गाई केरि , गोबर कय बड़ा अकाल भवा , गांव भरे मा एक दुयि घर पशु पहिया केरि रखवार बचे , परती का सभे छकाय लिहिन न कुआं ,ताल, फरवार बचे , दूध,दहिव , केरे साथि मा दुदहन बिन सूनि आज घर वार भवा , गौरी पूजन खातिर ......... होइ गयि अब दूर देवारिन से चिकनी माटी केरि चिकनाई , डलिया , डलवा ,कोंहडवरी अब बस यादनि मा आई जाई , बच्चा अंगिरेजी पढय लाग अवधी , केरि बूझ , विचार,गवा , गौरी पूजन खातिर गाई केरि गोबर कय बड़ा अकाल भवा !! ( संजय अवधी ) #Pattern