ये फूल जो...अब तक लटका है डाली से जो डाली से टूट कर.. जमीं पे गिरा तो इसका वजूद मिट्टी के समान होगा... हम भी ऐसे ही है...हमें हर पल किसी न किसकी सहारे की जरूरत होती ही है...बिना किसी सहारे के हम भी उस जमीं पे गिरे टूटे फूल की तरह होंगे.. कुछ लोग कहते है..मैं किसिका सहारा नही लेता.... वो भूल जाते है...इस दुनिया में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए भी...हमें हरपल इस शरीर का सहारा लेना पड़ता है.... ©Sonu #support not dependency.....