विभिन्न कुर्सीयाँ ------------------ दरबान कि कुर्सी, जिस पर बैठना दरबान के नसीब में भी नहीं हैं, नाई कि कुर्सी, जिस पर नाई कि हुकूमत चलती है, शिक्षक कि कुर्सी, जो अनमोल है पर दुर्भाग्यवश टूट जाती है, मैनेजर कि कुर्सी, जिसका अस्तित्व सिर्फ़ चाटुकारिता के लिए है, मंडप कि कुर्सी, दो परिवार के मिलन कि गवाह है, इन सबसे ऊपर, नेताओं कि कुर्सी, जो झूठ का अभिप्राय बन गयी है, झूठ को सच और सच को झूठ बनाती है, अपनों का खून तक करवा देती है, रिश्ते, इंसानियत सब इनके पायों के नीचे कुचले जा चुके हैं, इसका भी एक भयंकर नशा है, इसको पाते ही, पैसा, ताक़त, घमंड भर भर के आ जाता है, कुर्सी कि लड़ाई में प्रायः गरीब ही मारा जाता है । विभिन्न कुर्सीयाँ -------------------- दरबान कि कुर्सी, जिस पर बैठना दरबान के नसीब में भी नहीं हैं, नाई कि कुर्सी, जिस पर नाई कि हुकूमत चलती है, शिक्षक कि कुर्सी, जो अनमोल है पर दुर्भाग्यवश टूट जाती है,