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मेरे आने की दस्तक से घर मे थी रौनक जतां रहे थे पि

मेरे आने की दस्तक से घर मे थी रौनक 
जतां रहे थे पिता दादी, माँ को आभार, 
स्नेह-स्पर्श पाकर थी मैं भी, आनंद में अपार|
#माँ हीरा और #मैं_बेशकिमती बन गई थी घर पर
राह देख रहे थे मेरी,पिता आतुर चकोर बन कर, 
आनंद के कुछ महिने, यूँही गुजर गए
फिर ना जाने क्यों एकदिन माँ की हँसी, सिसकियोंं में बदल गए.. 
कुछ शोर सा हो रहा था, माँ के आस-पास
कठोर थे पिता के लब्ज,थी तेज माँ की सांस
प्रत्यन में लगी थी, समझने पिता की बात
कि तभी दादी गरजी, #नहीं_चाहिए_फिर_से_लड़की_दो_बेटियों_के_बाद
अनुभव कर स्थति को सहम गई थी मैं, 
पहली बार माँ की कोख में, डर गई थी मैं! 
फिर सोचा, गोद में जाकर सबको मना लूँगी, 
पर क्या पता था आवास भी, #कोख का खो दूँगी
अब दर्द मैं अपनी क्या करूँ बयां!
 सता रहा हैं प्रश्न यही
#जनक_मेरी_खतां_तो_बता!
#मेरी_खतां_तो_बता!
मेरे आने की दस्तक से घर मे थी रौनक 
जतां रहे थे पिता दादी, माँ को आभार, 
स्नेह-स्पर्श पाकर थी मैं भी, आनंद में अपार|
#माँ हीरा और #मैं_बेशकिमती बन गई थी घर पर
राह देख रहे थे मेरी,पिता आतुर चकोर बन कर, 
आनंद के कुछ महिने, यूँही गुजर गए
फिर ना जाने क्यों एकदिन माँ की हँसी, सिसकियोंं में बदल गए.. 
कुछ शोर सा हो रहा था, माँ के आस-पास
कठोर थे पिता के लब्ज,थी तेज माँ की सांस
प्रत्यन में लगी थी, समझने पिता की बात
कि तभी दादी गरजी, #नहीं_चाहिए_फिर_से_लड़की_दो_बेटियों_के_बाद
अनुभव कर स्थति को सहम गई थी मैं, 
पहली बार माँ की कोख में, डर गई थी मैं! 
फिर सोचा, गोद में जाकर सबको मना लूँगी, 
पर क्या पता था आवास भी, #कोख का खो दूँगी
अब दर्द मैं अपनी क्या करूँ बयां!
 सता रहा हैं प्रश्न यही
#जनक_मेरी_खतां_तो_बता!
#मेरी_खतां_तो_बता!