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आँखे नम है,साँसे भी कुछ रुकी रुकी सी है, यथार्थ और

आँखे नम है,साँसे भी कुछ रुकी रुकी सी है,
यथार्थ और सिद्धांत का पुजारी हमसे दूर हो गया हैं ।

बहोत ही नाज़ुकता से सम्भाली तूने ये रिश्ते की डोरी,
सुन मईया, तेरा बेटी का पात्र अब ख़त्म हो गया हैं ।

कुछ जल्दी कर दी तूने,उन्हें ले जाने में ए रब,
उनका अच्छे से दीदार करना बाकी रह गया है ।

ताउम्र उजियारा ही फैलाता रहा वो 
देख ले ईश्वर तेरा चाँद अब सो गया हैं ।

इस नई ऋतू में हमारा पुराना मौसम खो गया हैं,
केवल जीवन नही ,एक अध्याय का अंत हो गया हैं । #MissingNanu
आँखे नम है,साँसे भी कुछ रुकी रुकी सी है,
यथार्थ और सिद्धांत का पुजारी हमसे दूर हो गया हैं ।

बहोत ही नाज़ुकता से सम्भाली तूने ये रिश्ते की डोरी,
सुन मईया, तेरा बेटी का पात्र अब ख़त्म हो गया हैं ।

कुछ जल्दी कर दी तूने,उन्हें ले जाने में ए रब,
उनका अच्छे से दीदार करना बाकी रह गया है ।

ताउम्र उजियारा ही फैलाता रहा वो 
देख ले ईश्वर तेरा चाँद अब सो गया हैं ।

इस नई ऋतू में हमारा पुराना मौसम खो गया हैं,
केवल जीवन नही ,एक अध्याय का अंत हो गया हैं । #MissingNanu