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मैंने आज आशिक़ी की इंतहा कर दी, आप से मिलने की जिद्

मैंने आज आशिक़ी की इंतहा कर दी,
आप से मिलने की जिद्द कर दी।
अमानत में मिला था जो वीरान आशियाना,
आपने आकर इसे गुलजार कर दी।
था उलझन में बड़ी कैसे इजहार करू अपनी इश्तियाक,
आपने आते ही लबों को चूम मेरी उलझने दूर कर दी। उलझन
मैंने आज आशिक़ी की इंतहा कर दी,
आप से मिलने की जिद्द कर दी।
अमानत में मिला था जो वीरान आशियाना,
आपने आकर इसे गुलजार कर दी।
था उलझन में बड़ी कैसे इजहार करू अपनी इश्तियाक,
आपने आते ही लबों को चूम मेरी उलझने दूर कर दी। उलझन
raviravi7500

Ravi Ravi

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