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क्या ऐसे ही आंखों में सबको वो हूर मिलता है क्या ऐस

क्या ऐसे ही आंखों में सबको वो हूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या ऐसे ही आंखों में खोने लगते है सब ये
क्या ऐसे ही उस एक के होने का फितूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या इन्हीं आंखों से वो ख्वाब सजते हैं जमाने के
क्या इन्हीं आंखों में डूब जाने का डर हुज़ूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या ऐसे ही आंखें शर्म से झुकती हैं उनके होने से
क्या ऐसे ही उनके होने का गुरूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या ऐसे ही आंखों आंखों में बातें होती है
क्या ऐसे ही होठों को मुस्कुराने का सुरूर मिलता
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है.. #hindipoetry #hindiwriters #kavitayein
क्या ऐसे ही आंखों में सबको वो हूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या ऐसे ही आंखों में खोने लगते है सब ये
क्या ऐसे ही उस एक के होने का फितूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या इन्हीं आंखों से वो ख्वाब सजते हैं जमाने के
क्या इन्हीं आंखों में डूब जाने का डर हुज़ूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या ऐसे ही आंखें शर्म से झुकती हैं उनके होने से
क्या ऐसे ही उनके होने का गुरूर मिलता है
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है

क्या ऐसे ही आंखों आंखों में बातें होती है
क्या ऐसे ही होठों को मुस्कुराने का सुरूर मिलता
क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है.. #hindipoetry #hindiwriters #kavitayein