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राजनीति के इस झोल में असल मुद्दों से ही भटक गये, क

राजनीति के इस झोल में असल मुद्दों से ही भटक गये,
कितनों की है पोल खुली तो कितने चहरे जो लटक गये।

मुद्दा-ए-गुफ्तगू   तो  रोटी  कपड़ा  और   रोजगार  था,
खेल गये सियासत सियासतदां आंसुओं को गटक गये।

वो जो सड़कों पर मचा रहे उत्पात छातियां पीट पीट,
पूछा जो बजह ए कोहराम अल्फ़ाज़ सारे अटक गये।

फैला  के  खौफ  मजहबी , अपने  लिए  बहार देखते हैं,
सामना जो हुआ सबाल से अवाम के नामुराद मटक गये।

डरना  है  तो  वो  डरें  जो  घर  मेरे  बैठा   घुसपैठिया,
आखिर वो क्यूं डरें जिसके जाने कितने पुरखे चटक गये।

अचरज नहीं मुझे मुझको है यकीं इन गफ़लतों के दौर में,
जितने  मिले  हमराह  मुझे उतने उल्फतो में पटक गये।

गर आजाद भारत में 'बादल' आजाद तेरी आवाज़ तो क्या,
बोल  जो  तोड़ने  लगे  अमन  दिल को  मेरे तो खटक गये। #writer #writersofindia #writerscommunity #writers #writerskiduniya #writersnetwork #writerslife #shayeri #poitics #pollution
राजनीति के इस झोल में असल मुद्दों से ही भटक गये,
कितनों की है पोल खुली तो कितने चहरे जो लटक गये।

मुद्दा-ए-गुफ्तगू   तो  रोटी  कपड़ा  और   रोजगार  था,
खेल गये सियासत सियासतदां आंसुओं को गटक गये।

वो जो सड़कों पर मचा रहे उत्पात छातियां पीट पीट,
पूछा जो बजह ए कोहराम अल्फ़ाज़ सारे अटक गये।

फैला  के  खौफ  मजहबी , अपने  लिए  बहार देखते हैं,
सामना जो हुआ सबाल से अवाम के नामुराद मटक गये।

डरना  है  तो  वो  डरें  जो  घर  मेरे  बैठा   घुसपैठिया,
आखिर वो क्यूं डरें जिसके जाने कितने पुरखे चटक गये।

अचरज नहीं मुझे मुझको है यकीं इन गफ़लतों के दौर में,
जितने  मिले  हमराह  मुझे उतने उल्फतो में पटक गये।

गर आजाद भारत में 'बादल' आजाद तेरी आवाज़ तो क्या,
बोल  जो  तोड़ने  लगे  अमन  दिल को  मेरे तो खटक गये। #writer #writersofindia #writerscommunity #writers #writerskiduniya #writersnetwork #writerslife #shayeri #poitics #pollution