ये खामोशी तेरी क्यों इतना बेचैन करती है । सौ टुकड़े हो चुके हैं, अब हजारों में नहीं बदलना ।। ये खामोशी तेरी क्यों इतना बेचैन करती है । सौ टुकड़े हो चुके हैं, अब हजारों में नहीं बदलना ।। #ravindragangwar #ravindragangwarquotes #ravindrakumarquotes #kumarravindraquotes #gangwarravindraquotes