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तुने दुनिया को ये क्या बना दिया? ये किस नई चीज़ में

तुने दुनिया को ये क्या बना दिया?
ये किस नई चीज़ में हमको फंसा दिया?

हम अच्छे-ख़ासे हिंदू-मुस्लिम कर रहे थे।
शिवलिंग पर दूध हो या मज़ार की चादरों पर
हम तेरे लिए तो लड़ रहे थे।
हम तेरे ही बनाए अछूत,बदसूरत,काले,गवारों को
उनकी असली औकात दिखा रहे थे।
हम अपने बच्चों को सब अपना-पराया,
कितनी अच्छी तरह सीखा रहे थे।
हम सब तेरे लिए एक दूसरे से बगावत कर रहे थे,
अपने-अपने तरीकों से तेरी हिफाज़त कर रहे थे।
वो जो तेरा घर तोड़कर दूसरों से तेरा बनाया था,
उसे फिर तोड़कर हम तेरा ही बना रहे थे।
हम चीख़ कर कह रहे थे,तुझे भगवा प्यारा है,
तो कभी हरे रंग पर तेरा ही तो हक़ जमा रहे थे।

तुने लेकिन हमको कुछ भी ना समझा।
ख़ामख़ा के इस चक्कर में क्यों उलझा दिया।
तुने दुनिया को ये क्या बना दिया?
ये किस नई चीज़ में हमको फंसा दिया? तुने दुनिया को ये क्या बना दिया?
ये किस नई चीज़ में हमको फंसा दिया?

हम अच्छे-ख़ासे हिंदू-मुस्लिम कर रहे थे।
शिवलिंग पर दूध हो या मज़ार की चादरों पर
हम तेरे लिए तो लड़ रहे थे।
हम तेरे ही बनाए अछूत,बदसूरत,काले,गवारों को
उनकी असली औकात दिखा रहे थे।
तुने दुनिया को ये क्या बना दिया?
ये किस नई चीज़ में हमको फंसा दिया?

हम अच्छे-ख़ासे हिंदू-मुस्लिम कर रहे थे।
शिवलिंग पर दूध हो या मज़ार की चादरों पर
हम तेरे लिए तो लड़ रहे थे।
हम तेरे ही बनाए अछूत,बदसूरत,काले,गवारों को
उनकी असली औकात दिखा रहे थे।
हम अपने बच्चों को सब अपना-पराया,
कितनी अच्छी तरह सीखा रहे थे।
हम सब तेरे लिए एक दूसरे से बगावत कर रहे थे,
अपने-अपने तरीकों से तेरी हिफाज़त कर रहे थे।
वो जो तेरा घर तोड़कर दूसरों से तेरा बनाया था,
उसे फिर तोड़कर हम तेरा ही बना रहे थे।
हम चीख़ कर कह रहे थे,तुझे भगवा प्यारा है,
तो कभी हरे रंग पर तेरा ही तो हक़ जमा रहे थे।

तुने लेकिन हमको कुछ भी ना समझा।
ख़ामख़ा के इस चक्कर में क्यों उलझा दिया।
तुने दुनिया को ये क्या बना दिया?
ये किस नई चीज़ में हमको फंसा दिया? तुने दुनिया को ये क्या बना दिया?
ये किस नई चीज़ में हमको फंसा दिया?

हम अच्छे-ख़ासे हिंदू-मुस्लिम कर रहे थे।
शिवलिंग पर दूध हो या मज़ार की चादरों पर
हम तेरे लिए तो लड़ रहे थे।
हम तेरे ही बनाए अछूत,बदसूरत,काले,गवारों को
उनकी असली औकात दिखा रहे थे।