मैं धारा चम्बल की हूँ जिसके लहू में बागीपन है नहीं कोई सरल नदिया, जिसका समंदर से अपनापन है मैं हर हाल में जिंदादिल जो खुद में ही मशगूल है नहीं कोई सावनी तूफाँ जो अगले ही पल धूल है ©Soumya Agrawal #मैं धारा हूँ चम्बल की #baaghi #chambal #chambalwale #hindi_poetry #dabang #Raashtra