बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है | मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है | सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल | यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है || ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख | क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है || दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी | यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है || #adhoora_ishqq___ बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है | मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है | सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल | यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है || ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख | क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||