यूं जो बिखरे हैं हम , ऐसा नहीं कि हम तिरे रहते कभी नहीं बिखरे , हम टूट के संभले सो दफा , एक दफा फिर तिरे आगे बिखरने के लिए ! तेरी इक चिंगारी को हवा दी है हमने अपनी सासों से , रगों में शोले न बहें तो फिर क्या ही बहे ! जल जल के भी चमकेंगे तिरे आगे , आहिस्ता आहिस्ता न जले तो फिर क्या ही जले ! ज़िंदगी के पन्नों पर हर्फ-दर-हर्फ लिखें हैं तिरे किस्से , लिखावट सुर्ख लाल न हो तो कोई पढ़े कैसे ! मरीज़-ए-इश्क हो ,और लाइलाज न हो , मौत इश्क को फिर हम कहें कैसे ! पुराने जख्मों को कुरेदते रहे ,भरने न दिया , दर्द का हरा रहना ज़रूरी है मिरे जीने के लिए , दरिया मैं कोई , तुम समुंदर जैसे , खुद को खोते रहे ,हम तुझसे मिलने के लिए ! जो कभी यादों में फंसे तो हस्ते रहे , अर्सा हुआ ,हमने आंखों से तुझे बहने न दिया , तेरी निशान है जेहन में कई गहरे , इक तिरी धुंधली तस्वीर ने हमें किसी और का होने न दिया । तिरे जाने से जो टूटे ,हम अब्तलक टूटे ही रहे , हम सिमटे भी तो भला किसके आगे बिखरने के लिए ! यूं जो बिखरे हैं ..#प्यार #दर्द #दिलकीबात #खुदकीकलमसे #ओरिजिनल #heartbreak #टूटी_बिखरी_चीज़ें #readcaption यूं जो बिखरे हैं हम , ऐसा नहीं कि हम तिरे रहते कभी नहीं बिखरे हम टूट के संभले सो दफा , एक दफा फिर तिरे आगे बिखरने के लिए तेरी इक चिंगारी को हवा दी है हमने अपनी सासों से