वो कंचनबदनी मृगनयनी जब अपनी खुली जुल्फो संग विलास करती हैं अकेले मेरी ही नहीं पूरी कुदरत की धड़कने एक पल के लिए ठहर जाती हैं। चमकते हुए सफ़ेद तारों से युक्त काले कुर्ते को पहन कर जब वो खुद को सजाती हैं। देखा है मैंने कैसे सुंदरता की देवी उसका श्रृंगार करने को तरसती है। अपनी खुली जुल्फों को जब वो अप्सराओं की मल्लिका कश कर बांध देती हैं, जरूरत नहीं पड़ती उसे किसी जादू टोने की बस इसी अदा से वो वशीकरण कर लेती हैं। और नाक के दाई ओर जब वो अर्ध चंद्रमा को नथनी रूप में धारण करती हैं, मेरे मन की तो क्या कहूँ अनंत कोटि प्रेमदेवो के मन को भी वो अपनी कातिलाना सी भौहों के बाण चला कर मोहित कर लेती हैं। और सुरत तो उसकी अनंत कोटि शरद पूर्णिमा के चंद्रमा को भी मात देती है, और गंगा की इस्मत लिए वो लड़की किसी मुसाफिर से शायर के भावों को भी गंगाजल सा पावन कर जाती है। (इस्मत=पवित्रता) ©Musafir ke ehsaas #ChaltiHawaa #SawalaRang #jhumke #hassenladki #nojatohindi #musafir