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उस  पार  नहीं  संसार  यही, देखती  नजरे  सलाखों 

उस  पार  नहीं  संसार  यही,  
देखती  नजरे  सलाखों  के  आगे टिमटिमाते  जुगनुओं  को  जो  कभी  महज  घरों  की  बत्तियां  हुआ  करती  थी ,,  
हवा  जो  कभी  मेहसूस  हुई   नहीं  थी  बाहर  वादियों  मे  भी , आज  खिड़की  खोलते  ही  सरसराते  हुए  अंदर  चली  आती  है।  वो  पंछी  जो  आकाश  मे  थे  तो  शायद  पर  चिमनियों  के  धुएँ  मे कहीं  ओझल  हो  गए  थे , अब  फिर  दिखते  हैं  तो  दिल  फिर  पंख  लगा   के   उड़ने  का  होता  है। 
जो  आंखे  खुल   के   देखती  थी   दुनिया   आज  जब  बंद  की  
तो  खुद  को  देख  पाया , समझ  नहीं  आया  आंखे  पहले  बंद थी  या  अब  बंद  हैं।
आज  वो  बंद  किताब  भी  खुल  गई  जिसपर  पडी  धूल  भी इतरा  कर   उसपर  अपना  हक  जमा  कर  बैठी  थी।
किताबों  की  एक  खास  बात  है  उनमें  कहानियाँ  या  बातें हमेशा  दूसरों  के बारे  मे  होती  है,  शायद  हमे  ये  सिखाती  है कि  जिंदगी  मे  सिर्फ  तुम्हारी  ही  कहानी  नहीं  चल  रही  है दोस्त।
आज  जब  अपनों  से  बात   हुई    पता  चला  किसके  यहां  क्या  पकवान  बना  है , किसने  आज  क्या  खास किया , क्या  चाहिए  होता   है   इंसान  को, बस  वो  जो  भी  करे  उसकी तारीफ  दो  लोग  कर  दे, इतने  मे  खुश  है  वो , पैसों  से  भी कभी  खुशी  मिली  है  क्या ?
लगता  तो  यही  है  की  हम  शायद  जरूरतें  पूरी  करने  मे  कुछ  इतनी  दूर  निकल  आए, कि  रुकना  कब  था  भूल  गए।
आज  ये  विपत्ति  ये  महामारी  है, बहोत  बड़ा  संकट  है, पर  हर  संकट  हमे  कुछ  सिखाता  है , और  इस  बार  जो  मैं  सीखा हू  वो  कोई  किताब  नहीं  सीखा  सकती।
दिल  उदास  भी  होता  है, जब  बाहर  घूमने  का  बहोत  मन होता  है, पर  अपनी  जिम्मेदारियों  का  एहसास  भी  है,  मैं  तो नहीं  निकल  सकता  पर  ये  दिल  तो  छलांगे  लगाता  है, उतारता  हू  इसकी  सारी  अतरंगी  सतरंगी  व्यथाओं  को  काग़ज़  पर  स्याही  से, पहले  नहीं  पता  था  इतना  सुकून  दे सकते  हैं  शब्द, 
सुना  तो  था  कलम  मे  ताकत  है, पर  जब  महसूस  हुआ  तो दिल  गदगद  हो  गया।  
सबको  मौका  मिला  है  अपनी  गलतियों  को  समझने  का, कुछ  सीखने  का, कुछ  नया  शुरू  करने  का
पहचानो  ख़ुद  को, मेरी  बस  यही  सलाह  है।
बाकी  जंग  तो  कोरोना  से  हम  जीत  ही  जाएंगे  क्युकी  खाकी  वर्दी  मे  रखवाला 
 और  सफेद  वर्दी  मे  ख़ुद  भगवान हमारे  साथ  है । 
कोरोना  से  जंग  तो  वो  जीत  लेंगे, पर  अपने  अंदर  की  जंग हमे  जीतनी  है। A message to people
उस  पार  नहीं  संसार  यही,  
देखती  नजरे  सलाखों  के  आगे टिमटिमाते  जुगनुओं  को  जो  कभी  महज  घरों  की  बत्तियां  हुआ  करती  थी ,,  
हवा  जो  कभी  मेहसूस  हुई   नहीं  थी  बाहर  वादियों  मे  भी , आज  खिड़की  खोलते  ही  सरसराते  हुए  अंदर  चली  आती  है।  वो  पंछी  जो  आकाश  मे  थे  तो  शायद  पर  चिमनियों  के  धुएँ  मे कहीं  ओझल  हो  गए  थे , अब  फिर  दिखते  हैं  तो  दिल  फिर  पंख  लगा   के   उड़ने  का  होता  है। 
जो  आंखे  खुल   के   देखती  थी   दुनिया   आज  जब  बंद  की  
तो  खुद  को  देख  पाया , समझ  नहीं  आया  आंखे  पहले  बंद थी  या  अब  बंद  हैं।
आज  वो  बंद  किताब  भी  खुल  गई  जिसपर  पडी  धूल  भी इतरा  कर   उसपर  अपना  हक  जमा  कर  बैठी  थी।
किताबों  की  एक  खास  बात  है  उनमें  कहानियाँ  या  बातें हमेशा  दूसरों  के बारे  मे  होती  है,  शायद  हमे  ये  सिखाती  है कि  जिंदगी  मे  सिर्फ  तुम्हारी  ही  कहानी  नहीं  चल  रही  है दोस्त।
आज  जब  अपनों  से  बात   हुई    पता  चला  किसके  यहां  क्या  पकवान  बना  है , किसने  आज  क्या  खास किया , क्या  चाहिए  होता   है   इंसान  को, बस  वो  जो  भी  करे  उसकी तारीफ  दो  लोग  कर  दे, इतने  मे  खुश  है  वो , पैसों  से  भी कभी  खुशी  मिली  है  क्या ?
लगता  तो  यही  है  की  हम  शायद  जरूरतें  पूरी  करने  मे  कुछ  इतनी  दूर  निकल  आए, कि  रुकना  कब  था  भूल  गए।
आज  ये  विपत्ति  ये  महामारी  है, बहोत  बड़ा  संकट  है, पर  हर  संकट  हमे  कुछ  सिखाता  है , और  इस  बार  जो  मैं  सीखा हू  वो  कोई  किताब  नहीं  सीखा  सकती।
दिल  उदास  भी  होता  है, जब  बाहर  घूमने  का  बहोत  मन होता  है, पर  अपनी  जिम्मेदारियों  का  एहसास  भी  है,  मैं  तो नहीं  निकल  सकता  पर  ये  दिल  तो  छलांगे  लगाता  है, उतारता  हू  इसकी  सारी  अतरंगी  सतरंगी  व्यथाओं  को  काग़ज़  पर  स्याही  से, पहले  नहीं  पता  था  इतना  सुकून  दे सकते  हैं  शब्द, 
सुना  तो  था  कलम  मे  ताकत  है, पर  जब  महसूस  हुआ  तो दिल  गदगद  हो  गया।  
सबको  मौका  मिला  है  अपनी  गलतियों  को  समझने  का, कुछ  सीखने  का, कुछ  नया  शुरू  करने  का
पहचानो  ख़ुद  को, मेरी  बस  यही  सलाह  है।
बाकी  जंग  तो  कोरोना  से  हम  जीत  ही  जाएंगे  क्युकी  खाकी  वर्दी  मे  रखवाला 
 और  सफेद  वर्दी  मे  ख़ुद  भगवान हमारे  साथ  है । 
कोरोना  से  जंग  तो  वो  जीत  लेंगे, पर  अपने  अंदर  की  जंग हमे  जीतनी  है। A message to people
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