अमीरे शहर के चमचे नमक खवारी दिखाते है, वो जब ताली बजाता है तो सब ताली बजाते है । वहि है जाने मेह्फ़िल आज हमको कौन पुछेगा, चलो कोने मे तन्हा बैठ कर नाखुन चबाते है । इन्हे बत्लाओ ये तपती ज़मीन पानी की प्यासी है , ये कैसे लोग है जो खून कि नदियाँ बहाते है । हमारि सोच काग़ज़ पर कभी असली नहीं उतरी , हम अपने ख्वाब कि ताबीर भी नकली बनाते है । - जनाब मेहशर आफरीदी #mehsharafridi