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बचपन गया जवानी आई , वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई। रितुए

बचपन गया जवानी आई ,
वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई।
रितुए गई  दिन राते बदली,
गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली ।
पर तू है सच्ची साथी मेरी ,
मैं काया तू छाया मेरी।
,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से 
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से ।
 बचपन गया जवानी आई ,
वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई।
रितुए गई  दिन राते बदली,
गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली ।
पर तू है सच्ची साथी मेरी ,
मैं काया तू छाया मेरी।
,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से 
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से ।
बचपन गया जवानी आई ,
वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई।
रितुए गई  दिन राते बदली,
गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली ।
पर तू है सच्ची साथी मेरी ,
मैं काया तू छाया मेरी।
,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से 
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से ।
 बचपन गया जवानी आई ,
वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई।
रितुए गई  दिन राते बदली,
गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली ।
पर तू है सच्ची साथी मेरी ,
मैं काया तू छाया मेरी।
,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से 
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से ।