बचपन गया जवानी आई , वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई। रितुए गई दिन राते बदली, गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली । पर तू है सच्ची साथी मेरी , मैं काया तू छाया मेरी। ,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से । बचपन गया जवानी आई , वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई। रितुए गई दिन राते बदली, गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली । पर तू है सच्ची साथी मेरी , मैं काया तू छाया मेरी। ,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से ।