" इक मुहब्बत ही नहीं आरज़ू-ए-ज़िन्दगी भी थी आँखों में! फिर इन आँखों में सिर्फ आंसुओं को ही क्यों जग़ह दिए जाए " ©Hasan_Sheikh " इक मुहब्बत ही नहीं आरज़ू-ए-ज़िन्दगी भी थी आँखों में! फिर इन आँखों में सिर्फ आंसुओं को ही क्यों जग़ह दिए जाए " #हसन #Flower