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तुम मुझे जानते हो, फिर भी नहीं जानते, मुठ्ठी में र

तुम मुझे जानते हो, फिर भी नहीं जानते,
मुठ्ठी में रेत सा सँभाल रखा था, फिसलना तो था ही मुझे। मत थाम मुझे अपनी मुठ्ठी में रेत की तरह
फिसल कर निकल जाऊँगा कभी न वापस आने के लिए।

#रेत

#अधूराइश्क़

#YQdidi
तुम मुझे जानते हो, फिर भी नहीं जानते,
मुठ्ठी में रेत सा सँभाल रखा था, फिसलना तो था ही मुझे। मत थाम मुझे अपनी मुठ्ठी में रेत की तरह
फिसल कर निकल जाऊँगा कभी न वापस आने के लिए।

#रेत

#अधूराइश्क़

#YQdidi