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तन में बसी यह आत्मा, कैसा जलवा दिखा रही है। भरमाकर

तन में बसी यह आत्मा, कैसा जलवा दिखा रही है।
भरमाकर हर घड़ी, न जाने क्या-क्या करा रही है ।।
पहचान प्रभु से कर ले,तब ही बचेगा यहाँ पर ।
तेरे अहम से ही,यह हरपल तुझको मिटा रही है।।
आती नही नजर मगर अधिकार कर रखा है ।
भोगी शरीर बनाकर, माया हरदम नचा रही है ।।
दुख,रोग,शोक देकर, कितना चेताया इसने ।
भूलो न नाम प्रभु का,हरपल बता रही है ।।

©Shubham Bhardwaj
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