कुछ ऐसा ही कहा था, दिल से यूँही न जाने कैसे, यह समझा नहीं कब, कैसे और किस घड़ी पराया हो गया हाल है कि वो मेरी अब, सुनता नहीं है करता है मनमानी, जिद्द में अड़ा है मैं पूछती हूँ जब सवाल, तो ढीठ सा बिन कुछ कहे मुस्कुराता रहता है मैंने भी हार कर हथियार डाल दिए हैं दिमाग़ अलग-थलग पड़ा हुआ है लगता है दिल से नाराज़ हो गया है सोचती हूँ छोड़ दूँ जूझने से क्या फायदा जिसका जो काम है करता रहे जिंदगी सुकून में चलती रहे दिल मुस्कुरा रहा इक तससली तो है दिमाग़ रूठता है तो रूठा रहे... सुप्रभात। मायूस नहीं होते, क़िस्मत को नहीं रोते... #मायूसनहींहोते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi