एक दिन ठीक से आज़मा ले मुझे ज़िन्दगी हर घड़ी इन्तेहाँ किसलिये बात इतनी सी उसको न आई समझ बागबाँ के बिना गुलसिताँ किसलिये । चाँदनी पांडेय #chandnipandey