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#OpenPoetry सरफ़रोश-ए-अहबाब क्यूँ ज़ीस्त तबाह की अक

#OpenPoetry सरफ़रोश-ए-अहबाब क्यूँ ज़ीस्त तबाह 
की अक्स पे तूने ओ "प्रेम"।
जो आबले देखता हूँ शिकन के, 
तबाह-ए-अहबाब का ख़्याल आता है।। शब्दार्थ 

सरफ़रोश = जान की बाज़ी लगा देने वाला, जाँनिसार
अहबाब = 'हबीब' का बहु., मित्र लोग, दोस्त, प्रियजन
अक्स = प्रतिबिम्ब, साया, परछाईं
आबले = छाला, फफोला
शिकन = झुर्रियां, बल
#OpenPoetry #prempushp #try #something #different #उजड़ा_हुआ_आशियाँ #शायरी #बेकारी #मुहोब्बत   #मुहफेरों_से_बच_के_रहना
#OpenPoetry सरफ़रोश-ए-अहबाब क्यूँ ज़ीस्त तबाह 
की अक्स पे तूने ओ "प्रेम"।
जो आबले देखता हूँ शिकन के, 
तबाह-ए-अहबाब का ख़्याल आता है।। शब्दार्थ 

सरफ़रोश = जान की बाज़ी लगा देने वाला, जाँनिसार
अहबाब = 'हबीब' का बहु., मित्र लोग, दोस्त, प्रियजन
अक्स = प्रतिबिम्ब, साया, परछाईं
आबले = छाला, फफोला
शिकन = झुर्रियां, बल
#OpenPoetry #prempushp #try #something #different #उजड़ा_हुआ_आशियाँ #शायरी #बेकारी #मुहोब्बत   #मुहफेरों_से_बच_के_रहना