ग़रीबी को देखा है नजदीकी से बस पर उसके भोले चेहरे को महिला के मटमैले कपड़ों से बच्चे के चिथड़े हुए कपड़े से पथराईं सी आंखे थी उनकी रूदन की आवाज लिए बस अनायास ही न जाने क्यूं आंखों में आंसू आए एहसास हुआ उस क्षण दरिद्रता का समुद्र मंथन नीलाम हो गया अमीरों का शहर क्या बिखर गयीं उम्मीदें उस क्षण अपादमस्तक कंपकंपा उठें जब महिले ने भूख से अपने प्राण त्याग दिए हाय!है ऐसी मानवता पर जो खड़े स्तंभो सा देख रहे नेता भी अपने हाथ को सेंक रहे ग़रीबों को सरेआम बेच रहे। ©Shilpa yadav #poor #गरीबी #जीवनअनुभव #वेदना #कलह #रुदन