बज़्म-ए-इश्क़ में शतरंज की बिसात बिछाऊँ, बन तेरी ख्वाबों की मल्लिका मैं रानी बन जाऊँ, बिताया हर पल जो तेरे संग मैं सँवर जाऊँ, या मैं तेरी बन वजीर तेरा साथ निभाऊँ, आये जो मुसीबत तुझ पर तो मैं ढ़ाल बन जाऊँ, छुपा तुझें आँचल में मैं तेरा साया बन जाऊँ, बस तेरे इश्क़ का प्यादा बना ले ए साक़ी, कर इतनी मोहब्बत की फिर कोई अजमाइश न रहे बाकि, दे नज़राना तेरे तेरे मीठे बोल का, कि जिसे पा मैं तेरी रहनुमा बन जाऊँ, जो तू देगा दगा, तो मैं वफ़ा-ए-मोहरा बन, तेरी जीत में शामिल हो जाऊँ, पर ए मेरे हमनशीं मैं तुझे कभी अफसुर्द न पाऊँ, आये हैं जिंदगी में अनेकों गम-ए-तूफ़ान, तेरा वफ़ा का ये एक गम और झेल जाऊँ, पर मेरा वादा हैं मेरे साक़ी, तू ही ले हर जन्म मेरे दिल मे तैराकी, बस ये मेरी मोहब्बत का शोर हैं बेबाक़ी, इस इश्क़ में मैं तुझे ही बस तुझें पाऊँ, बन मोहरा मैं तेरे लिए चाल में शहीद हो जाऊँ, मेरा हर रग-रग मैं,तुझ पर वार जाऊँ, #chess #शतरंज #profoundwriters #love #प्रेम #वजीर