सावन की फुहार की ठण्डक मौसम में बरक़रार । रात भर कम्बल ओढ़ाती अपनी बिटिया को, बिटिया को कहाँ भान कम्बल की ऊष्मा का, उसको तो माँ के आँचल से परे दुनियाँ भाती ही नहीं अभी, वह हटा देती कम्बल पैर से अपने, माँ फिर ओढ़ाती, वह फिर हटाती, चलता यही क्रम रात भर, जागती जागती सी दोनों सोती या सोती सोती जागती दोनों रात भर, कम्बल के चक्रव्यूह से बचकर , सुबह सुबह बिटिया लेती अंगड़ाई खुलकर माँ की गोद में.. #yqdidi #maabeti #कम्बल #बिटिया