बीच समंदर के एक बंदा डूबा जारा, कुछ नहीं है पास, बस इक तिनके का सहारा। सब होगा ठीक, वो मन ही मन चिल्लाया, पर कुछ होगा ठीक, इसका कोई न था इशारा। कोशिश तो की बहुत, पर मिल ना पाया किनारा, आखिरकार हारकर, वो डूब गया बेचारा। क्योंकि पास था उसके बस इक तिनके का सहारा। डूब रहे उस बन्दे को तिनके ने दी उम्मीद, पर दुश्मन जब सागर रहा, तो कहाँ से होती जीत। ©The Poetic Megha Tinke ka Sahara #ThePoeticMegha #MyOwnWords #Life #Hindi #Shayari #DropinOcean