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रश्मों-रिवाजों से नाता तोड़ चुका हूँ, मेरी जान मैं

रश्मों-रिवाजों से नाता तोड़ चुका हूँ,
मेरी जान मैं सबसे मुँह मोड़ चुका हूँ..
दिली-ख्वाहिश हैं इक बार गुफ्तगू की,
पर तुमसे खैरियत पूछने का हक़ खो चुका हूँ..

©Bhavesh Thakur रश्मों-रिवाजों से नाता तोड़ चुका हूँ,
मेरी जान मैं सबसे मुँह मोड़ चुका हूँ..
दिली-ख्वाहिश हैं इक बार गुफ्तगू की,
पर तुमसे खैरियत पूछने का हक़ खो चुका हूँ..
~Bhavesh Thakur 
#Poetry 
#bhaveshthakur 
#ishq
रश्मों-रिवाजों से नाता तोड़ चुका हूँ,
मेरी जान मैं सबसे मुँह मोड़ चुका हूँ..
दिली-ख्वाहिश हैं इक बार गुफ्तगू की,
पर तुमसे खैरियत पूछने का हक़ खो चुका हूँ..

©Bhavesh Thakur रश्मों-रिवाजों से नाता तोड़ चुका हूँ,
मेरी जान मैं सबसे मुँह मोड़ चुका हूँ..
दिली-ख्वाहिश हैं इक बार गुफ्तगू की,
पर तुमसे खैरियत पूछने का हक़ खो चुका हूँ..
~Bhavesh Thakur 
#Poetry 
#bhaveshthakur 
#ishq